ज़िंदगी तेरी-मेरी कहानी किताब वैसे तो कविताओं का संग्रह है पर ये कविताएँ उन लयबद्ध कविताओं से थोड़ी अलग हैं जो हम बचपन में पढ़ा करते थे | क्योंकि इसमें हर कविता खुद में एक कहानी समेटे हुए है | ऐसी कहानी जो फिसलते वक़्त की रेत पर ज़िंदगी के कुछ कहे-अनकहे एहसासों को बयां करती है | इस कहानी में प्यार के रंग है, बीते वक़्त की यादें हैं, ज़िंदगी से कुछ शिकायतें और उम्मीदें हैं और साथ ही बदलते समाज का आईना भी | झाँक कर देखिएगा हर कहानी की रूह में, आपको लगेगा जैसे किसी ने आपके भीतर की ख़ामोशी को शब्दों का रूप दे कागज़ पर उतार दिया हो |
एक और बात - मेरा मानना है कि किसी भी कहानी पर कभी पूर्ण विराम नहीं लगाया जा सकता | उसमें हमेशा कुछ ना कुछ कहने और सुनने के लिए रह ही जाता है | मेरे हिस्से की कहानी मैंने कह दी, बाकी बची उन अधूरी कहानियों को पूरा करने और अपनी खुद की एक नयी कहानी लिखने की ज़िम्मेदारी अब आपकी |
एक ऐसी कहानी जिसे आप हकीकत में जीना चाहते हो |
एक ऐसी कहानी जो बेशक ख़त्म हो जाये, पर लोगों के जेहन में आपका निभाया हुआ किरदार जिंदा रहे |
रिचा अग्रवाल एक माँ, एक शिक्षिका, एक पाठक और एक सरल लेखिका हैं। रसायन विज्ञान और शिक्षा में मास्टर डिग्री के साथ, वैज्ञानिक तथ्यों और मनोविज्ञान के सिद्धांतों के बारे में अधिक जानने में इनकी गहरी रुचि है | इनके द्वारा लिखे गए कई शोध पत्र और लेख अंतरराष्ट्रीय ख्याति की पत्रिकाओं और जर्नल्स में प्रकाशित हो चुके हैं |
खुद को जानने और अभिव्यक्त करने के लिए ये लेखन को सबसे उपयुक्त माध्यम मानती हैं। साथ ही इन्हें सामाजिक मुद्दों और संवेदनशील विषयों पर भी लिखना पसंद है। उनकी जीवनपर्यंत इच्छा अपने लेखन के माध्यम से लोगों को सकारात्मक रूप से प्रभावित करने की है।
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