किसी साधारण व्यक्ति के लिए स्वयं को समझ पाना जितना कठिन होता है,उसके लिए उससे भी कहीं अधिक कठिन व दुष्कर कार्य होता है भावनाओं के अथाह सागर में उद्वेगों के ज्वार के उतरने के पश्चात बिखरी हुई सीपियों के समान विभिन्न छोटी-बड़ी कविताओं से अर्थ रूपी मोती निकाल पाना। यही कारण है कि हिन्दी की अन्य विधाओं के पाठकों की तुलना में कविता के रसिक प्रायः कम ही होते हैं। बावज़ूद इसके '"ज़रा सी क़ैद'' नामक अपना यह काव्य-संग्रह आप सभी काव्य प्रेमियों के हाथों में सौंपते हुए मुझे अत्यंत गर्व व प्रसन्नता की अनुभूति हो रही है।
Zara Si Qaid
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