यह कहानी विश्व युद्ध-2 युग के सात नेताओं जैसे हिटलर, चर्चिल, हैरी ट्रूमैन और गाँधी आदि की काल्पनिक भागीदारी के कारण एक अंतर्राष्ट्रीय पिच से शुरू होती है। ये नेता ही एक बड़े युद्ध की ओर ले जाने वाली इस कहानी के प्रमुख हिस्से को आकार देते हैं। अगर आप इन पात्रों में रूचि रखते हैं तो पढ़ें...
भारत में फैंटेसी-फिक्शन विधाओं की कमी है। यह उपन्यास उस कमी को पूरा करने की एक कोशिश करता है। क्योंकि अधिकतर कहानी देवलोक में घटित होती है तो लेखक ने देवलोक की पारम्परिक छवि को आधुनिक बनावट दी है और एक नयी दुनिया की कल्पना की है। अगर आप उस दुनिया और उसके लोगों को जानना चाहते हैं तो पढ़ें...
कहानी का मुख्य किरदार सातोश्री स्वयं एक देवता है जो पार्किन्सन बीमारी से ग्रस्त है। वो इन्सानों के प्रति सहानुभूति रखता है, इसलिए वह इन्सान की तरह जीवन जीने के लिए धरती पर सात अलग-अलग अवतार ले लेता है। अगर आप सातोश्री को जानना चाहते हैं तो तो पढ़ें...
कुल मिलाकर यह कहानी पूरी तरह से सत्य, कर्म, कर्त्तव्य, शक्ति, मृत्यु, पुनर्जन्म आदि के भारतीय विचारों पर आधारित है और उन्हीं विचारों के लेंस के माध्यम से इन्सान और ईश्वर के बीच के सम्बन्धों को देखने की कोशिश करती है। अगर आप इन विषयों में रूचि रखते हैं तो पढ़ें...
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32 वर्षीय हरीश उपाध्याय एक बहुआयामी लेखक हैं। हरीश पहाड़ी राज्य उत्तराखंड के मूल निवासी हैं और हाल में नोएडा में रहते हैं। वह भारत की एक बड़ी बहुराष्ट्रीय आईटी कंपनी के लिए एक सॉल्यूशन आर्किटेक्ट के पद पर काम करते हैं, साथ ही वह इतिहास, दर्शनशास्त्र, राजनीति और साहित्य जैसे विषयों में भी गहरी रुचि रखते हैं। हरीश कुमाऊँनी, हिन्दी और अंग्रेजी भाषाओं के अच्छे जानकार हैं, लेकिन वह हिन्दी भाषा से अपने खास प्यार के चलते हिन्दी में ही लिखना पसंद करते हैं। हरीश गीत, कविताएँ और लघु कथाएँ भी लिखते हैं। उनका कहना है कि वही छोटी कविताएँ और कहानियाँ उनके लिए उपन्यास रूपी एक बड़ा जंगल विकसित करने के लिए एक विचार-बीज के रूप में काम करती हैं। इस उपन्यास को पूरा करने में उन्हें दो साल से अधिक का समय लगा क्योंकि इस उपन्यास की सभी उपकथाएँ अलग-अलग समय पर अलग-अलग विचार-बीजों से विकसित हुई थीं।
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