हजारों वर्ष पहले सात सभ्यताएं हुआ करती थीं। धीरे-धीरे उनके लोगों की संख्या बढ़ती गयी। उन सभ्यताओं ने अपना विस्तार करना आरम्भ किया और सम्पूर्ण धरती को अपने अधिकार में ले लिया। फिर शुरू हुई वर्चस्व की लड़ाई। कुछ सभ्यताएं दूसरी सभ्यताओं के हिस्से पर अधिकार करने लगीं। इस तरह सम्पूर्ण धरती दो विचारधारा में बंट गयी। एक धारा शांति की समर्थक थी जबकि दूसरी विस्तारवादी। फिर शुरू हुआ पवित्र युद्ध। इस पवित्र युद्ध में सभी सभ्यताओं का नाश हो गया। जो सभ्यताएं हार गयीं उनके बचे लोग छुप कर इधर-उधर रहने लगे। लेकिन जो सभ्यताएं जीतीं उनको भी कुछ नहीं मिला। वे भी अपने जीते हुए हिस्सों पर ही छुप कर रहने लगीं। इन्हीं सभ्यताओं में वानरवंशी इन्सान भी थे जो उस समय डरे-सहमे छुप कर रहा करते थे। युद्ध के बाद इनकी संख्या ही सबसे ज्यादा थी। समय के साथ-साथ ये पूरी धरती पर शासन करने लगे। बची हुई सभ्यताओं के वंशज अपने आप को इन्हीं इंसानों के बीच छुपा लिये। कुछ इंसानों के दोस्त बनकर रहने लगे तो कुछ दुश्मन। आज के समय में भी इन सभ्यताओं के वंशज रह रहे हैं पर कहाँ कैसे किसी को नहीं पता।
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युवा लेखक विवेक विप्लव का जन्म स्थान वाराणसी है। इन्होंने समाजशास्त्र और इतिहास में स्नातक की शिक्षा प्राप्त की है। विवेक जी राष्ट्रीयकृत बैंक में पिछले दस वर्षों से सेवारत हैं।
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