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न्यूज चैनल को एक धमकी वाला पत्र मिलता है, जिसमें एक ऐसे जानलेवा वायरस फैलाने की धमकी दी गई है जिसे डिटेक्ट नहीं किया जा सकता है I अब आप सोचेंगे की इस कहानी में नया क्या होगा ? किसी वैज्ञानिक या सरफिरे ने दी होगी धमकी, उपन्यास खत्म होते-होते उसे खोज निकालेंगे I लेकिन यहीं आप चूक जाते हैं I वायरस फैलाने वाले को खोजने से ज्यादा जरुरी उसके रहस्य को खोजना है और वह रहस्य है डर I किसका ?, आपका डर I ए.सी.पी. राघव राठौर और उनकी टीम जिसमें इंस्पेक्टर मीरा और जयकिशन शामिल हैं, के साथ मिलकर हम इस केस को सुलझाएँगे I लेकिन कैसे ? इसका पता तो आपको उपन्यास पढ़कर ही चलेगा I

 

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लेखक का पैतृक निवास उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जिले का खुरहुरिया गाँव है I इनका जन्म और बचपन उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले के मनकापुर टाउन में बीता I इस समय यह उत्तर प्रदेश के लखनऊ जनपद में रहते हैं I इन्होंने नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, अयोध्या से कृषि स्नातक तथा चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (पत्थर कॉलेज), कानपुर से कृषि परास्नातक “अनुवंशिकी एवं पादप प्रजनन” विषय में किया है I वर्तमान में यह भारत सरकार, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के लखनऊ स्थित अधीनस्थ कार्यालय में कार्यरत हैं I इसकी प्रमुख रचनाएँ, “मेरा गम कितना कम हैं” (कहानी), “जूते से बचनें के उपाय” (व्यंग), “हांड़ी से दांडी तक” (नाटक) हैं I इसके अलावा 25 ज्यादा लेख पत्रिकाओं और समाचार पत्रों में प्रकाशित हो चुके हैं I

Virus Maarega!

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