यह उपन्यास पूर्णतः पाठकों की नवाचारी विचारशीलता के समीप होगा। पाठकों मे सृजनशील विचारधारा को उत्पन्न करते हुए मानवहित परिरक्षण के लिए उत्साहित करेगा। एक महान अन्तर्दृष्टि विकसन मे मदद करेगा। मानवीय कर्म की उत्तम व्याख्या मे मदद करेगा। ... साथ-साथ पढ़ते समय हँसी-ठिठोली सहित हृदयस्थल मे गुदगुदी भी उत्पन्न करेगा।
यह उपन्यास, जीवन के कई पहलुओं को नए नजरिए से देखने का मौका भी पाठकों को प्रदान करेगा। ग्रामीण और शहरी पृष्ठभूमि का ताना-बाना लिए यह उपन्यास सभी सम्मानित पाठकों को एक नई सोच के साथ नया दिशा प्रदान करेगा।
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श्रम एवं रोज़गार मंत्रालय, भारत सरकार के ई.एस.आई.सी (ESIC - कर्मचारी राज्य बीमा निगम) में सहायक निदेशक के पद पर कार्यरत, वरिष्ठ हिन्दी लेखक गंवरू प्रमोद (प्रमोद कुमार) पटना, बिहार से ताल्लुक रखते हैं। प्रमोद जी विशेष तौर पर समसामयिक विषयों पर लेख लिखते रहते हैं। कविता एवं कहानी लेखन में भी इनका विशेष योगदान रहा है। प्रमोद जी किसी कार्य को समय सीमा के अंदर कैसे सम्पन्न किया जाए, ऐसे विषयों पर लोगों को सलाह भी देते हैं। प्रमोद जी एक प्रेरक वक्ता के तौर पर पहचाने जाते हैं।
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