लॉकडाउन लगने के बाद, मुंबई में रहने वाले 26 साल के कार्तिक में एक अंधेरा पैदा हुआ। कुछ महीने पहले खत्म हुए एक रिश्ते का दर्द उस अंधेरे में छुपा बैठा था। नौकरी से निकाल देने की वजह से अब उस दर्द को नजरअंदाज नहीं किया जा पा रहा था। उस अकेलेपन और उस लड़की के छोड़ जाने की बेचैनी में कार्तिक ने एक दिन उससे बात करने की ठानी। किताब की शुरुआत उसकी उस पहली बात से है। जिन बातों की वजह से कार्तिक और उस लड़की के बीच में इतनी दूरियां आ गई थी, उन बातों को कार्तिक समझना चाहता था। पूरी किताब में कार्तिक उस लड़की से बात कर रहा है जो अब है नहीं, जा चुकी है। धीरे-धीरे यही छोटी बातों से ऊपर उठ कर कार्तिक उसे क़िस्से सुनाने लगता है, फिर वह क़िस्से उसके ‘आज’ में बदल जाते हैं। उस लड़की का एक हिस्सा, जिस पर से कार्तिक की सबसे ज्यादा बू आती थी, उस लड़की ने निकाल फेका था। और वह परित्यक्त हिस्से को कार्तिक ने अपने पास रख लिया... और उसी हिस्से से अब कार्तिक बात करता है। कार्तिक के सामने वह लड़की आज भी बैठी है और उससे बात कर रही है। मगर कार्तिक मुंबई में रहता है और वह लड़की उसे और मुंबई को कुछ महीने पहले ही छोड़ छुकी है। अपनी जिंदगी के ठंडे अंधेरे दर्द को समझने की कोशिश में कार्तिक कुछ लोग और कुछ कहानियों से मिलता है। तेजी से बीत रहे समय से, कार्तिक हारते हुए महसूस करता है और धीरे-धीरे अपनी समझ खोने लगता है। हैरानी की बात है की यह सब मैंने क़िताब में कही नहीं लिखा है। मगर यह सब आपको क़िताब में ही मिलेगा।
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अंकित शर्मा लेखक होने के साथ साथ एक अभिनेता भी हैं। हाल ही में उन्हें ‘इंटरनेशनल मोशन पिक्चर फेस्टिवल’ में ‘बेस्ट एक्टर’ के अवार्ड से नवाज़ा गया है। उनका जन्म दिल्ली में हुआ था। अपनी ज़िन्दगी के अधिकतर साल उन्होंने भोपाल में गुज़ारे हैं और अभी मुंबई में रहते हैं। उन्होंने अपनी 25 साल की ज़िन्दगी में 13 साल अभिनय पढ़ने और समझने में लगाए हैं। वो कहते हैं की ‘कहानी हर बार क़िस्सों में क्यों बंटती है? मैं एक क़िरदार लिखता हूँ, एक कमज़ोर क़िरदार। मेरे लिए वो क़िरदार का कमज़ोर होना और उस कमज़ोरी को जीना, ही कहानी है।’
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