प्रस्तुत महाकाव्य 'स्वाभिप्रेरित -एकलव्य', हिंदी लेखक गंवरु प्रमोद जी के मानसस्थल से निःसृत बेहतरीन हिंदी महाकाव्य-ग्रंथ है। सभी काव्य नियमों से परे यह महाकाव्य ग्रंथ अपने-आप अनूठी रचना है और समस्त वैश्विक समाज को एक सुंदर संदेश देता है। यह महाभारत के पात्र 'एकलव्य' के विषय में विस्तृत-चर्चा करता अद्वितीय हिंदी महाकाव्य-ग्रंथ है। इसमें एकलव्य की एकनिष्ठ एकाग्रता को काव्यों के माध्यम से दर्शाते हुए, उसके सम्पूर्ण जीवनी को काव्याभिव्यक्ति दी गई है। साथ ही साथ, इस महाकाव्य-ग्रंथ की 'पूर्वपीठिका' मे 3200 ई.पू. से लेकर 500 ई.पू. तक के महाजनपदों / जनपदों पर भी विस्तृत व गवेषणात्मक चर्चा की गई है। 'स्वाभिप्रेरित - एकलव्य' महाकाव्य-ग्रंथ एकदम नए अभिप्रेणात्मक मॉडल पर लिखी गई पुस्तक है, जिसके माध्यम से भारतवर्ष के समस्त सामाजिक उत्थानकारी तत्त्वों पर विस्तृत काव्याभिप्रेणात्मक चर्चा है।
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श्री प्रमोद कुमार अपना लेखन-कार्य 'गंवरु प्रमोद' के नाम से करते हैं। इनकी अबतक चार पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं: - 'सफलता के ग्यारह अध्याय', 'कर्म के ग्यारह अध्याय', 'उत्सर्ग' (उपन्यास), और 'रामराज्य की परिकल्पना' (नाट्यरचना)। यह महाकाव्य रचना 'स्वाभिप्रेरित - एकलव्य' इनकी पांचवीं पुस्तक है। एक अनूठी रचना छठी पुस्तक "7.4" जल्द पाठकों को उपलब्ध हो जायेगी। 'गंवरु प्रमोद' जी वर्तमान मे भारत सरकार के श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के अंतर्गत ईएसआईसी में सहायक निदेशक के रूप में कार्यरत हैं। ये लेखन के माध्यम से प्रेरणादायक व सामाजिक उत्थानपरक बातों को सबके समक्ष रखते हैं। गुमनाम रहकर जरूरतमंदों की मदद भी करते रहते हैं। इंटर कॉलेज के समय से इन्हें लिखने का शौक रहा है। वर्ष 1996 से लेकर लगातार ये कुछ-न-कुछ लिखते रहे हैं।
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