इस पुस्तक का नाम ‘सुन ले कोई मेरी क़लम की पुकार’, जो पुस्तक की पहली कविता के शीर्षक से लिया गया है। यह कविता ‘सरफ़रोशी की तमन्ना’, बिस्मिल अज़ीमाबादी द्वारा लिखित ग़ज़ल से प्रेरित है। इस कविता के ज़रिए मैं क़लम के ज़रिए इंक़लाब लाने की बात कर रहा हूँ। गांधीवाद से मैं बचपन से प्रेरित हूँ और मैं विश्वास रखता हूँ कि अहिंसा और प्यार से ही इस दुनिया को जीता जा सकता है।
Sun Le Koi Meri Kalam Ki Pukar
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