मोहब्बत की पहली नज़र से लेकर उसके बिखरने तक की कहानी के साथ एक आम ज़िन्दगी के हर पहलू को बयाँ करता यह उपन्यास टूटते-जुड़ते रिश्तों के बीच पनप रहे विचारों को पात्रों के माध्यम से लिखने का प्रयास है। यह उपन्यास उस समय काल में लिखा गया था, जब न तो टी.वी. होते थे और न ही मोबाइल फ़ोन सोशल मीडिया का तो प्रश्न ही नहीं था। टेलीफ़ोन भी कम मात्रा में लोगों के पास होते थे। सम्पर्क का माध्यम पत्राचार या टेलीग्राम होता था। मनोरंजन के लिए रेडियो होते थे। हाँ उन दिनों फ़िल्में बहुत देखी जाती थीं।
--
पंजाब के प्रतिष्ठित हिन्दी साहित्यकार संतोष जी अमृतसर, पंजाब से ताल्लुक रखते हैं। संतोष जी की ज़िन्दगी का अधिकांश हिस्सा कपड़ा मिलों में मुलाज़मत करते हुए गुज़रा है। ज़िन्दगी के इस हिस्से को संतोष जी कभी दिल से निकाल न सके। इसी का परिणाम था कि अमृतसर के बाज़ारों, दरवाज़ों, सड़कों, पार्कों और गली-कूँचों का महीन चित्रण हमेशा इनकी कहानियों-क़िस्सों का हिस्सा रहा है। संतोष जी के पाठक इन्हें ज़मीन से जुड़ा कथाकार मानते हैं।
कपड़ा मिलों में मुलाज़मत करते हुए संतोष जी ने श्रमिकों के संघर्ष और संवेदनाओं को अपनी कहानी-क़िस्सों का हिस्सा बनाया। ७० के दशक से साहित्य सृजन का यह सिलसिला आज भी निरंतर ज़ारी है। इनकी कई कहानियाँ पाठकों के दिल पर अमिट छाप छोड़ चुकी हैं। लेखन की शुरुआत कच्ची उम्र में लिखे गये उपन्यास ‘माँ’ से हुई। ततपश्चात् ‘अंतहीन’ नामक कहानी संग्रह भी प्रकाशित हुआ। अमृतसर से प्रकाशित लघु पत्रिका ‘बरोह’ के लघुकथा अंक के अतिथि संपादक के रूप में संतोष जी को आज भी जाना जाता है।
top of page
SKU: RM029536
₹199.00 Regular Price
₹159.00Sale Price
bottom of page