विश्व के पारमार्थिक साहित्य में श्रीमद्भगवद्गीता का स्थान सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण और सर्वोपरि है । यह हजारों वर्षों से निरंतर गतिशील और समय की कसौटी पर खरी उतरी भारतीय विचारधारा का अमर ग्रंथ है । यह महाभारत के भीष्मपर्व का अंग है । गीता की गणना प्रस्थानत्रयी में होती है, इसका अर्थ है कि गीता का स्थान उपनिषदों और धर्मसूत्रों के समकक्ष है । गीता महत्त्व इस तथ्य से भी प्रतिपादित होता है कि उपनिषदों को गाय और गीता को उसका दूध माना जाता है ।
Srimad Bhagavad Gita - Adhyatma Darshan
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