‘स्पर्श एक एहसास’ पुस्तक में जन्म से लेकर मृत्यु तक के इस पूरे चक्र में स्पर्श के अलग अलग अहसासों को कविता के माध्यम से पिरोया गया है ! स्पर्श” कहने को तो एक शब्द है, किन्तु ये वो एहसास है जो एक ओर स्नेह, प्रेम, ममता और वात्सल्य को प्रकट करता है तो दूसरी ओर रोष, क्रोध, अहंकार, पीड़ा और आजीवन के घाव को भी व्यक्त करता है। एक ओर स्पर्श दवा है तो दूसरी ओर पीड़ा स्पर्श एक अनुभूति है,एक एहसास है अपनेपन का, जो दिल से रूह तक के रिश्तों को एक बन्धन में बांधता है ! जीवन की बेला से जीवन की गोधूलि तक एक अभिव्यक्ति है जो किसी ना किसी के माध्यम से एक एहसास दे जाती है ।
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इस पुस्तक की लेखिका पूजा गोयल है, एवं वो अधिकांश महिलाओं की तरह एक साधारण गृहिणी हैं, वह अलीगढ़ ज़िले के एक प्रतिष्ठित ऑटोमोबाईल्स ग्रुप जट्टारी ग्रुप से ताल्लुक़ात रखती हैं ! उनकी पहली पुस्तक ‘समर्पण’ जिसे कि आप सभी ने खूब सराहा था, स्वीकार किया था ! उसी सराहना ने उन्हें अपनी दूसरी पुस्तक आत्म सारांश’ लिखने के लिए प्रेरित किया ! इस पुस्तक में उन्होंने ऐसे कई अनछुए पहलुओं पर लिखा है, जिन्हें आज तक शायद किसी ने भी लिखने की कोशिश नहीं की है ! इस पुस्तक में स्पर्श के अहसासों को मन की स्याही से लिखने का प्रयास किया है,जैसा की सभी जानते हैं कि स्पर्श एक अहसास ही तो है,जो ना केवल किसी के छूने से,अपितु बातों का, हवाओं का, सूरज चांद सितारों का, स्पर्श माँ और पिता का, भाई-बहन का, हर अपनों का जिनके साथ बचपन गुजरा। कुछ स्पर्श जो सुकून देते हैं तो कोई स्पर्श आजीवन के कष्ट दे जातें हैं ।
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