शून्य एक अपरिभाषित शब्द है शून्य को शब्दों से व्यक्त नहीं किया जा सकता। शून्य में ही ब्रह्मांड की सारी शक्ति निहित है। इसलिए प्रत्येक वस्तु व स्थान में ठहरा है शून्य। शून्य को खुद में खो कर ही समझा जा सकता है।
कुछ शब्द ऐसे होते हैं जो हमारे अंदर की गहराइयों में उतर कर हमारे हदय को छू जाते हैं और हमारी नियति को पहचानने में और उसे अभिव्यक्त करने में हमारी मदद करते हैं। जिससे हमारी सोच व समझ का विस्तार होता है। ऐसे ही शब्दों की वर्णमाला से इन कविताओं को पिरोया गया है।
Shoonya: Anant Ki Yatra
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