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दृढ़ इच्छाशक्ति, सतत् परिश्रम, सकारात्मक सोच तथा स्वाभिमान जैसे गुण मनुष्य के जीवन तथा व्यक्तित्व के विकास में अहम भूमिका निभाते हैं। 'शिखर की ओर' उपर्युक्त गुणों को समेटे हुए, सात कहानियों का अनुपम संग्रह है जो व्यक्तित्व के निर्माण के लिए प्रेरणा स्रोत तथा अन्याय पर न्याय की जीत का सुन्दर मेल है। नकारात्मक दृष्टिकोण त्याज्य है।  सभी कथानक वर्तमान समाज का दर्पण हैं।  समस्याओं का पर्दाफाश करते हैं तथा साथ ही शिक्षाप्रद सन्देश भी देते हैं।

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डॉ. संजीव कुमार असिस्टेंट प्रोफेसर, हिन्दी विभाग, हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय क्षेत्रीय केन्द्र धर्मशाला, हिमाचल प्रदेश- 176218। शैक्षिक योग्यताएंः एम.ए., एम.फिल., पीएच.डी. (हिन्दी), एम.ए. राजनीति शास्त्र, बी.एड.(स्नातक शिक्षा), पी.जी.डी.सी.ए., स्नातकोत्तर डिप्लोमा(अनुवाद) (पी.जी.डी.टी.)। अध्यापन अनुभवः 14 वर्ष शोध पत्र प्रस्तुतीकरणः राष्ट्रीय संगोष्ठियों में 18 शोध पत्र प्रस्तुतीकरण। अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठियों में शोध पत्र प्रस्तुतीकरण-09। राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय सेक्टर-46 चंडीगढ़ में “पंजाब की रामकथाओं का योगदान“ विषय पर 14 से 15 मार्च 2014 को आयोजित अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में शोध पत्र प्रस्तुत एवं प्रकाशित। राजकीय महाविद्यालय संजौली, शिमला द्वारा 05-06 अक्तूबर 2015 को आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में शोध पत्र प्रस्तुत किया। श्री गुरू तेग बहादुर खालसा कॉलेज, श्री आनंदपुर साहिब, पंजाब में 27 से 28 नवम्बर, 2015 को आयोजित 13वीं अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में शोध पत्र प्रस्तुत। प्रकाशन विवरणः प्रकाशित शोधालेख-15, प्रेमचंद के उपन्यासों में मध्यवर्गीय चित्रण। जीवन मूल्यों का आधार। आधुनिक उपन्यास-साहित्य में मध्यवर्गीय चेतना। राष्ट्रीय भावना से ओत-प्रोत दस्तावेज- ’पल्लवी’। “वैष्णव भक्ति साहित्य और रामभक्ति जीवन मूल्यों का आधार“। ’ राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, सेक्टर-46, चंडीगढ़ द्वारा संकलित शोध पत्र प्रकाशन। पुस्तकें प्रकाशित : 1. हिन्दी व्याकरण और सम्प्रेषण, 2. हिन्दी भाषा और सम्प्रेषण, 3. विष्णु प्रभाकर सामाजिक एवं मानवतावादी चिंतक, 4. चौपट मुखिया (हिन्दी उपन्यास)। सृजनात्मक लेखन समाचार-पत्र/पत्रिकाओं में लेख-प्रलेख प्रकाशित।

Shikhar Ki Or

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