मेरी इस किताब में, मेरे कई रूप, कई रंग आपको देखने को मिलेंगे। एक तरफ एक शायर एक कवि, अपनी सोच लिखता है तो वह उसी वक़्त किसी दूसरे की भी सोच लिखता है। समाज का प्रतिबिम्भ दिखता है, जब कवि लिखता है। इसी तरह से मुझे लगता है एक लेखन उस समय को चित्रित करके उसको सहेज कर रख देता है। ऐसे ही मैंने भी समय को संभाल के रखा है मेरे लेखन से। आपको इस किताब में मेरे लिखी हुई, उर्दू की ग़ज़लें, नग्मे, नज़म, शेर, अशआर को पढ़ने को मिलेंगे। किताब में, मेरी, हिंदी की रचनाएँ भी सम्मलित की है - कविताएँ, प्रार्थनाएँ।
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दलवीर सिंह 'सहर', पेशे से Software Engineer हैं । करीब 15-20 साल से, शौकिया तौर पर लेखन कर रहे हैं। विविध प्रकार के विषयों पर लिखना इन्हें पसंद है। 'सहर' के तखल्लुस (उपनाम) से अक्सर दोस्तो और करीबियों के बीच अपनी कविताएं, ग़ज़ल, नज़्म को प्रस्तुत करते रहते हैं । सहर - दलवीर सिंह के द्वारा लिखित कविता, ग़ज़ल, नज़्म का प्रथम संकलन पुस्तक के रूप में प्रस्तुत है ।
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