कवि में कभी भी नहीं था। जिंदगी की जितनी बसंत मैंने देखा है, उसी से सीखा है जो भी है खुलकर कहना। कवि तो मैं आज भी नहीं हूँ, ये तो बस कुछ बातें है जो सबसे मैं साझा करना चाहता हूँ। कहते हैं कवि कोमल हृदय की अधिकारी है, विशाल मन और आत्मा की अधिकारी है। उनमें से एक भी बाते मुझमें नहीं है। न ही मुझमें कोमल हृदय है, नहीं वो विशालता है। मैं जो भी लिखा, एक इंसान और एक जिम्मेदार नागरिक के तौर पर लिखा हूँ।
Saugandh Is Mitti Ki
SKU: RM256112
₹159.00Price