यह कहानी है क्षितिज की जो अपने परिवार और दोस्तों की टोली के साथ वंशपुर में रहता है। दब्बू स्वभाव के क्षितिज के पड़ोस में आता है एक दिलचस्प मेहमान, जो जल्द ही पूरे वंशपुर की आँखों का तारा बन जाता है। वहाँ के प्राचीन सूर्य मन्दिर में संक्रांति पर्व पर हर साल एक बड़ा सा मेला लगता है। मगर इस साल हो गयी है एक अनहोनी! सूर्यदेव के अनमोल कुण्डल चोरी हो गये हैं और इल्जाम आया है पुजारी जी पर!!
क्षितिज ने अपनी सूझबूझ से किस तरह असली चोर की पहचान की? क्षितिज को सुनाई देने वाली अजीब आवाजों और मन्दिर के भिखारी में क्या सम्बंध था? क्या थी उन कुण्डलों की खासियत जिससे वंशपुरवासी भी अंजान थे?
जानने के लिये पढ़ें “सतरंगे कुण्डल”...
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नाम: एकता सिंह
जन्म: उत्तर प्रदेश के मऊ जिले में
शिक्षा: नवोदय विद्यालय मऊ से प्रारंभिक शिक्षा के बाद पूर्वांचल विश्वविद्यालय से भौतिकी में परास्नातक वर्तमान में मऊ जिले में प्राथमिक विद्यालय मे अध्यापक के पद पर कार्यरत
परिवार: दो बेटियाँ आद्या व अनुकृति, एक बेटा वत्स कहानियाँ पढ़ने और सुनाने का शौक बचपन मे माँ से मिला। नवोदय विद्यालय के समृद्ध पुस्तकालय ने इस शौक को पूरा करने में मुख्य भूमिका निभाई। मेरा मानना है कि हिन्दी में बाल साहित्य और समृद्ध होना चाहिये जिससे नयी पीढ़ी को अपनी भाषा और परिवेश पर गर्व हो।
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