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कविता अंतर्मन की रागात्मक अनुभूतियों की प्रतिध्वनि है। भावमय हो गुनगुनाने तक कविता सीमित नहीं रह गई, वह सुनना- सुनाना चाहती है। आधुनिक कविता का दायरा काफी विस्तृत हो गया, वह भावविभोर करती है, अंगुल निर्देश करती है और अंगुरयाती भी है। उसमें भावुकता कम बौद्धिकता की प्रधानता है। वह चिंतन प्रधान हो गई है। भाव, चिंतन और विचार की दृष्टि से प्रिय विवेक की कविताओं का मूल्यांकन किया जाएगा तो उनकी कविताएं धीरे धीरे मन को मुग्ध करेंगी।

 

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विवेक कुमार मिश्र

आत्मज: लक्ष्मी देवी एवं पं. जितेन्द्र कुमार मिश्र
जन्म-स्थान: ग्राम: विजयपुर, पडरौना, जनपद: कुशीनगर, उत्तर प्रदेश, जन्म- 1987
शिक्षा: गोरखपुर विवि से प्रथम श्रेणी में विज्ञान स्नातक; रुहेलखंड विवि से एम सी ए, गेट जैसी प्रतिष्ठित परीक्षा
उत्तीर्ण। प्रथम श्रेणी में हिंदी साहित्य से एम. ए., यू जी सी नेट; संस्कृत, दर्शन, अंग्रेजी आदि विषयों का अध्ययन।
- कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के सेमिनार में शोध पत्र वाचन, जिनमें से कुछ पुस्तकाकार प्रकाशित।
- विद्यार्थी जीवन से ही हिंदी और अंग्रेजी की कविताएं प्रकाशित
शोध पत्र: ‘संस्कृत साहित्य में स्त्री छवि’ (प्रकाशित,मिरांडा हाउस, दिल्ली विवि), ‘साहित्य, संस्कृति और राजनीति: अंत:
संबंधों की पड़ताल’ (पी जी डी ए वी कॉलेज, दिल्ली विवि), ‘संत समाज में वैकल्पिक समाज की परिकल्पना’ (श्रीगुरू तेग
बहादुर खालसा कॉलेज), ‘भारतीय भाषाओं की चुनौतियां’ (प्रकाशित)
(विवेक कुमार मिश्र ने टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टी सी एस) में बतौर असिस्टेंट सिस्टम इंजीनियर अपना करियर
प्रारम्भ किया और अब भी टी सी एस में असिस्टेंट कंसलटेंट की भूमिका में अपनी सेवा दे रहे हैं)

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