इस पुस्तक में नज्मों और कविताओं के माध्यम से समाज और देश के हालात को मानवीय संवेदनाओं की दृष्टि से देखने की कोशिश है। मुश्किलों में भी अपने मंजिल पर मुस्कुराते हुए चलते रहने का संदेश देती है। व्यक्तिगत और धार्मिक संकीर्णता से ऊपर उठकर, समाज और देश के प्रति अपना फर्ज निभाने के लिए नागरिकों से आवाहन भी किया गया है।
Sapne Sach Honge Apne
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