‘सक्षम रूह’ वह रूह जो कभी हमें सम्पूर्ण होने का एहसास कराती है कभी शून्य बनाती है तो कभी ख़ुद में ही अपनापन महसूस कराती है कभी ख़ुद को हक़ीक़त के आईनों से वाकिफ़ कराती है तो कभी बेख़्याली का शौक पालती है फिर वही रूह सच और झूठ के चक्रवात में फँसकर कितने हर्ष और विषाद के तजुर्बों को जन्म देती है और फिर वहीं सब तजुर्बे व तमाम परस्थितियाँ हमारे जीवन के अहम क़िस्से व कहानियाँ बन जाते है जो अलग अलग एहसासों और भावों से भरे है जिन्हें महसूस करने की क्षमता हर इक रूह में होती है फिर चाहे वो ज़िन्दगी के किसी भी पढ़ाव से गुज़रे !
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दीपिका 'दानिस्त' का जन्म ‘कृष्ण-नगरी’ मथुरा में हुआ है उन्होंने अपनी पोस्ट ग्रेजुएशन 'राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय' से बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में की है। उसके साथ साथ उन्होंने यूजीसी नेट की पढ़ाई मानव संसाधन व श्रम कानून में की है । किताबें पढ़ने का शौक हमेशा से ही रहा उन्हें, उसके साथ ही २018 में उन्होंने हिंदी-उर्दू पोयट्री लिखना शुरू किया, पोयट्री के साथ अनेक कविताएँ भी लिख चुकी हैं इसके अलावा आनलाइन नेशनल लिटरेरी फेस्ट में हिस्सा लिया और पोयट्री वर्ल्ड ऑर्गनाइज़ेशन द्वारा आयोजित हिंदी-ऊर्दू काव्यशाला वर्कशॉप में भी शामिल रही व राईटर कम्युनिटी डोट इन द्वारा प्रकाशित ‘अकारा मैग्जीन’ में उनका लेख प्रकाशित हुआ है, इसके अलावा ‘माही संदेश’ राष्ट्रीय पत्रिका जुलाई २०२१ में भी उनकी कविता प्रकाशित हुई है, व उन्होंने किताब ‘हसरत-ए-मोहब्बत’ में बतौर सह-लेखक के रूप में भी काम किया है !
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