विश्व के यावदीय मूर्त्तामूर्त्त पदार्थों ने अपने पेटे में अव्यक्त रूप से अपनी परिचयात्मक कहानी संचित कर रखी है। सृष्टि के विराट् कोष में विविध रूप में घटित घटनाएँ कहानियों की ही प्रतिरूपिणी हैं। साहित्य-क्षेत्र में काव्य-मनीषियों द्वारा कहानियों ने शब्दबद्ध होकर व्यक्त रूप में संस्कार पाया। साहित्य-क्षेत्र में काव्य के नाम पर जितने प्रकार की श्रेणियाँ सम्भव हैं उनमें कोई भी कहानी- विहीन नहीं। कहानी-विहीन काव्य की कल्पना ही नहीं, चाहे वह गद्य हो या पद्य। भाव और रस कहानी के सहज तत्त्व हैं। इनके द्वारा कहानी रंजनात्मक गुण प्राप्त करती है। सार्थक शब्द-समूह अर्थात् वाक्यबोध हो जाने पर पाठशालीय शिशु छात्रों की पढ़ाई कहानी की भित्ति पर प्रारम्भ होती है और उसकी दौड़ पढ़ाई के उच्चतम क्लास की उच्चतम छोर तक चलती है।
Ranjanika
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