"रणभूमि में, मैं हूँ नहीं" पुस्तक एक काव्य संग्रह है जिसमें लेखक ने कविताओं के माध्यम से अपने विचारों को व्यक्त करने की कोशिश की है,इसका शीर्षक मनुष्य के आंतरिक युद्ध से जुड़ा है ,किसी साहित्य से संबंधित उद्देश्य से यह पुस्तक नही लिखी गई है , अगर आप भी अस्तित्व से संबंधित सवालों में उलझे रहते हैं तो यह आपके लिए जीवन के गहरे रहस्यों की ओर एक यात्रा का निमंत्रण भी हो सकती है जो आपको और ज्यादा सोचने पर मजबूर कर सके , इसमें लिखी गई अधिकतर कविताएं मनुष्य के अस्तित्व से जुड़ी जिज्ञासाओं को और मनुष्य के आंतरिक संघर्ष को व्यक्त करती है , कुछ कविताओं में प्रकृति की सराहना भी करी गई है तो अगर आप भी प्रकृति के प्रशंसक है तो आप इस पुस्तक का जरूर आनंद उठा सकते हैं !
Ranbhumi Mein Main Hoon Nahin
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