"रघुनायक रणरंगधीर" अर्थात् रघुकुल के नायक श्री राम जो युद्ध के रंग में भी धैर्यवान हैं। यह युद्ध केवल युद्धभूमि में होने वाला युद्ध नहीं है, अपितु प्रतिपल मानव का स्वयं से हो रहा युद्ध भी है। अहंकार, मोह, काम, क्रोध और मद, इन सब से चल रहा युद्ध। इस युद्ध में जो धैर्यवान है, वह अवश्य विजय को प्राप्त करेगा।
यह कहानी केवल राम की विजय कहानी नहीं है, यह कहानी है राम के प्रभु श्री राम बनने की। राजा राम के परमात्मा राम बनने की कहानी। हमारा अस्तित्व केवल जन्म और मृत्यु के इस कालचक्र तक सीमित नहीं है, इसकी सम्भावनाएँ अपार हैं। जैसे जैसे मैंने प्रभु श्रीराम को समझना शुरू किया, तो यह जाना कि हमारे भीतर जो अनंत नाद चल रहा है, धमनियों में जो रक्त बह रहा है, जो स्पंदन हृदय में प्रतिपल है वही राम है।
काव्य की यह विशेषता रही है कि उसने उन पहलुओं को छुआ है जो कभी गद्य नहीं छू सका। जब भाव और संगीत के साथ शब्द लयबद्ध होते हैं तो वे इस ब्रह्मांड के अनंत नाद के साथ तादात्म्य स्थापित कर लेते हैं। यह महाकाव्य श्री राम की कहानी का वर्णन तो करता ही है और साथ-साथ, अध्यात्म के गूढ़ रहस्यों, भक्ति मार्ग, कर्म मार्ग और ज्ञान मार्ग की विशेषताओं से भी आपका परिचय कराता है।
"जीवन में साथी मिलते हैं
कुछ बनते और बिगड़ते हैं
जल जाता है मानव नश्वर
पर आत्मा रहती सदा अमर
घटती जो भी यहाँ घटना है
साक्षी उसकी यह आत्मा है
एक दिन इसको भी जाना है
उस परम धाम को पाना है
उस परम धाम को पाने में
और जीवन को सुलझाने में
जो धर्म के पथ पर चलता है
पाता प्रभु में अविरलता है"
-अध्याय सेतु
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आशीष जोशी, लोहाघाट,उत्तराखंड के रहने वाले हैं। वे हिंदी और उर्दू में कविताएँ लिखते हैं । थापर यूनिवर्सिटी से वी.एल.एस.आई डिज़ाइन में एम.टेक आशीष, इंटेल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड में एस ओ सी डिज़ाइन इंजीनियर हैं । उन्होंने क्षेत्रीय सिनेमा में अभिनय किया है और वो फ़ोटोग्राफ़ी, घुड़सवारी, और ट्रेकिंग करना पसंद करते हैं ।
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