top of page

1974 में भारत सरकार द्वारा "पद्मश्री" से सम्मानित प्रो. स्व. क़ाज़ी अब्दुल सत्तार द्वारा लिखित 'शब-गज़ीदा' (उर्दू उपन्यास 1966) का हिंदी अनुवाद "रात का डसा हुआ" का लिप्यंतरण क़ाज़ी शावेज़ सत्तार उर्फ़ मन्ना (पुत्र स्व.पद्मश्री प्रो. क़ाज़ी अब्दुल सत्तार) ने किया है।

‘‘क़ाज़ी सत्तार के उपन्यासों के दुनिया भर में हैं मुरीद ’’ ‘‘41 की उम्र ने पद्मश्री हासिल कर सत्तार बन गए थे उर्दू अदब के सशक्त हस्ताक्षर’’ - अमर उजाला

 

पद्मश्री क़ाज़ी अब्दुल सत्तार (जन्म 8 फरवरी 1933 - 29 अक्टूबर 2018) उर्दू के एक भारतीय उपन्यासकार और लघु कथाकार थे। उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से पोस्ट ग्रेजुएशन पूरा किया। 1954 में वे एक शोधकर्ता के रूप में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से जुड़े। उन्होंने 1991 में अपनी सेवानिवृत्ति तक अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में उर्दू के प्रोफेसर के रूप में कार्य किया।

पुरस्कार: 1973 : प्रथम ग़ालिब पुरस्कार, 1974 : पद्मश्री ;भारत सरकार, 1977 : मीर अवॉर्ड, 1977 : उ.प्र. उर्दू अकादमी पुरस्कार, 1987 : अल्मी पुरस्कार, 1987 : राष्ट्रीय पुरस्कार उ.प्र. सरकार, 1996 : निशान-ए-सर सैयद पुरस्कार, 1998 : ज्ञानेंद्र पुरस्कार, 2002 : बहादुर शाह जफ़र पुरस्कार, 2005 : अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार दोहा, क़तर, 2006 : राष्ट्रीय इक़बाल पुरस्कार, 2008 : आइएसटी विश्वविद्यालय उर्दू शिक्षक पुरस्कार, 2011 : उ.प्र. हिन्दी संस्थान का प्रथम पुरस्कार।

 

अन्य उपन्यास: शिकस्त की आवाज़ (पहली और आखिरी किताब के नाम से भी प्रकाशित), शब-ग़ाज़ीदा (1966), बादल, मज्जू भैया, गुबार-ए-शब, सलाहुद्दीन अय्यूबी(1968), दारा शिकोह (1968), ग़ालिब (1976), हजरत जान, खालिद इब्न-ए-वलीद, ताजम सुल्तान, आन-ए-अय्यम, पीतल का घंटा।

 

PadmaShri Qazi Abdul Sattar (born 8 February 1933 at Machreta - 29 October 2018 at New Delhi) was an Indian novelist and short story writer who wrote in Urdu. He had penned several Urdu novels – mainly set in historical contexts – including Shab Gazida, Dara Shikoh, Salahuddin Ayyubi, Khalid Ibn-e-Waleed, and Ghalib.

 

Early life and education: He was born in 1933 in Machreta near Sitapur. He completed his post graduation from Lucknow University. In 1954 he joined Aligarh Muslim University as a researcher. He served as a professor of Urdu in Aligarh Muslim University until his retirement in 1991.

 

Books: Shikast ki Awaaz (also published as Pehli Aur Akhiri Kitaab), Shab-Ghazida (1966), Baadal, Majju Bhaiya, Gubaar-e-Shab, Salahuddin Ayyubi (1968), Dara Shikoh (1968), Ghalib (1976), Hazrat Jaan, Khalid Ibn-e-Waleed, Tajam Sultan, Aaen-e-Ayyam, Peetal ka Ghanta.

Kaali Raat Ka Dasa Hua

SKU: RM145268
₹289.00Price
  •  

bottom of page