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हमारी समाजिक व्यबस्था का चित्रण एवं देश की दुर्दशा पर चित्रण करने वाले "राजेंद्र राही" ने इस पुस्तक "राहें" में पुरजोर विरोध किया है और लगातार विषमता को देखते हुए अनेको काव्य रचनाएँ की है पुस्तक "राहें"में अपने ओजस्वी एवं यथार्थ चित्रण अपनी कविता में किये हैं इनकी प्रमुख कविता राहें , औरत , क्रांति , गगन , परत , शिमला , कडवा सच, कांटे, जिन्दा लाश , सम्हल जाओ , क्या मरना जरूरी है , आशियाँ ऐसी प्रमुख कविता हैं जिसे पढ़ कर आपको उस मोड़ पर खड़ा कर देंगी की सोचने पर विवश हो जायेंगे। इनकी इन सभी कवितायेँ आपको उस मोड़ पर बहा ले जाने की क्षमता रखते हैं जहाँ आप कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। बहुत ही जल्द इनकी एक और काव्य "अटलनामा" आपके समक्ष आने वाली है जो माननीय भारत रत्न स्वर्गीय अटल बिहारी बाजपाई पर आधारित है।

Raahen

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