दिव्यता की देहरी पर ऐतिहासिक दस्तावेज सँजोता महाकाव्य ‘‘प्यासे केन के फूल’’ महाकवि डॉ. कुँवर वैरागी जी द्वारा रचित, प्रेम की पावनता का प्रतीक, वीरता, शौर्य, साहस, समर्पण, ज्ञान, वैदिक, संस्कृति का संगम लिये एक ऐसा महाकाव्य है, जो भावों की भव्यता, वाणी की श्रेष्ठता लिये, जीवन दर्शन के साथ ‘‘ढाई आखर प्रेम’’ का पाठ पढ़ाता है। महाकवि डॉ. कुँवर वैरागी बुन्देली माटी में पल्लवित, बुंदेलखंड के साहित्याकाश के ज्वलंत हस्ताक्षर हैं। बहुमुखी प्रतिभा के धनी, जो शौर्य, साहस, नम्रता, संगीत, गीत, प्रीति की दुनियाँ के चतुर्दृष्टा चितेरे हैं। उनके द्वारा रचित ‘‘प्यासे केन के फूल’’ कला, भाव व्यंजना, प्रकृति सर्जना, मनोरम वादियों में, कवि के सीने में सुलगती क्रान्ति ज्वाला है। सूफी संतों वलियों-ऋषियों व आदर्श वचनों से परिपूर्ण मनोरम गाथा है। - डॉ० माया सिंह “माया”
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