‘प्रकृति-काव्य’ एक ऐसा काव्य-संग्रह है, जिसमें लेखक द्वारा प्रकृति के सभी रूपों का वर्णन कविताओं में ढ़ालकर किया गया है। जहाँ एक तरफ उसकी ख़ूबसूरती का ज़िक्र किया गया है तो दूसरी ओर उसकी व्यथा की शब्दों में कुछ इस तरह से व्याख्या की गयी है कि यकीनन ये काव्य-संग्रह पाठकों के दिल को छू जाएगा।
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राजस्थान के जयपुर शहर में एक मध्यम वर्गीय परिवार में जन्मी दीपिका जैन, यूँ तो इन्होंने शिक्षा कॉमर्स विषय में प्राप्त की थी, लेकिन हिन्दी भाषा में कहानियाँ व कविताएँ लिखना इन्हें बचपन से ही बेहद प्रिय है। 'काव्या', 'कुछ लम्हे ज़िंदगी के' 'कैसा है ये प्यार' एवं 'संग तेरे हमेशा' जैसी किताबें आप तक पहुँचाने वाली दीपिका साल 2014 से ब्लॉगिंग भी कर रहीं हैं। इनका एक ब्लॉग हिन्दी कविताओं का तो दूसरा हिन्दी कहानियों का है, एवं ये उन्हें पिछले आठ सालों से सफलतापूर्वक चला रहीं हैं।
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