हमारे जीवन में हम कई भावनाओं से गुज़रते हैं। जैसे कभी किसी करीबी से मिलने की ख़ुशी, कभी दूरियों का दर्द, कभी पुराने प्यार की याद, कभी हार होने की मायूसी तो कभी अकेलेपन का डर। हमारे जीवन की कहानी का काफी बड़ा हिस्सा इन भावनाओं का ही होता है। इन अहसासों के चलते हम हमारे जीवन में कई बड़े-छोटे फ़ैसले ले लेते हैं और वो फ़ैसले हमारी मंज़िल की तरफ का रास्ता बन जाते हैं। ये भी भावनाओं का ही खेल है जो हमें कभी बहुत भावुक बना देता है तो कभी संवेदनशील, या फिर कभी गुस्सैल बना देता है तो कभी कठोर।
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उज्जैन, मध्य प्रदेश की युवा हिन्दी लेखिका भूमिका परिहार फ़िलहाल मुम्बई में रहती हैं। पिता श्री कैलाश परिहार भारतीय रेल सेवा में इंजीनियर हैं। उनके नियमित स्थानान्तरण की वजह से भूमिका जी का बचपन गुजरात के विभिन्न शहरों (आनंद, वडोदरा, साबरमती आदि) में बीता है। इन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा भी गुजरात से ही पूर्ण की है। बाद में भूमिका जी ने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन तथा मास्टर्स की शिक्षा भी प्राप्त की और बतौर डिजाइन इंजीनियर एक प्राइवेट कंपनी में कार्यरत भी रहीं। प्रस्तुत पुस्तक गद्य-पद्य का बेहद ख़ूबसूरत मिश्रण है जो एक आम ज़िन्दगी के विभिन्न रंगों को अपने आग़ोश में समेटे हुए है। जो समझा, जो दिखा उसे क़लमबद्ध करतीं रहीं हैं। बचपन से ही इन्हें पढ़ने-लिखने का शौक़ था, जो अब तक ज़ारी है।
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