मैंने सीधे और सरल शब्दों में आधुनिक कविताओं (लय रहित), गीतों एवं कटाक्ष के जरिए जीवन के अलग - अलग पहलुओं को लिखने का प्रयास किया है। जिसमें ईश्वर, आस्था, प्रेम, सोकॉल्ड लव, रिलेशनशिप, शादी जैसे हर एक विषय को छुआ है।
इन कविताओं में प्रेम लिखते हुए मैंने महसूस किया कि घृणा, बेवफ़ाई, ब्रेकअप या एक्स कितने छोटे और खोखले शब्द हैं।
स्त्री और पुरुष को लिखते समय जाना की नैतिकता का जेंडर से कतई लेना - देना नहीं है।
कभी सामाजिक त्रासदियों पर लिखना चाहा तब यह समझ पाई कि एनिमल क्रुअल्टी, गरीबी, भूख या रेप पर केवल लिखना एक तरह की बेईमानी है, अगर हम उनके हक में कुछ भी कर नहीं रहे।असल में लिखते समय न ही हमारा दिमाग डिप्लोमेटिक हो पाता है और न ही दिल टेक्निकल। हम कविताओं में लगभग वही लिखते हैं जिन उदाहरणों को या तो हम स्वयं अनुभव करते हैं या अपने आसपास की दुनिया में बहुत करीब से देखते हैं।
जैसे - “किसी 'सार्वजनिक' सड़क का अपने मकान के ठीक सामने वाला हिस्सा, मात्र उतना ही 'व्यक्तिगत' रह जाता है लेखन”
कुल मिलाकर कवितायेँ कवि का पूरा या अधूरा प्रतिबिंब होती हैं। मुझे उम्मीद है कि आप सब को भी इस किताब में अपने - अपने जीवन के प्रतिबिंब की झलक जरूर मिलेगी। यह मेरा पहला काव्य संग्रह होगा। मेरी कोशिश है अपने शब्दों के जरिए पाठकों के दिल तक पहुँच सकूँ।
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