इस पुस्तक का शीर्षक मैंने पंचतत्व रखा है, क्योंकि हमारा शरीर आकाश,जल,अग्नि,वायु एवं धरती से बना है। ये सभी भौतिक तत्व हैं। क्या शरीर केवल इन्ही पांच भौतिक वस्तुओं से बना है? शायद नहीं। मैं यह मानता हूँ की प्रत्येक मनुष्य में इन पांच वस्तुओं के अतिरिक्त भी नैसर्गिक गुण एवं दोष भी होते हैं जिनको मिलाकर ही मनुष्य का निर्माण होता है। मनुष्य अपने पांच मुख्य नैसर्गिक गुणों एवं अवगुणों के साथ भी जीवन जीता है। वे पाँचों मुख्य गुण एवं अवगुण क्रमशः प्रेम, लालच, क्रोध, दया और द्वेष हैं। हम सबों में कमोबेश ये सभी विद्यमान होते हैं। मैं इन पाँचों को मनुष्य निर्माण एवं उसके सम्पूर्ण जीवन काल का पंचतत्व ही मानता हूँ। मेरी प्रत्येक कहानी के पात्रों में इन पाँचों की उपस्थिति हैI
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‘पंचतत्व’ पांच कहानियों का संग्रह है। पांचों कहानियों में मनुष्य के गुण, दोष तथा उनमें ईश्वरीय गुणों की उपस्थिति को अत्यंत मर्मस्पर्शी शब्दों द्वारा पिरोया गया है। लेखक मूल रूप से बिहार के बेतिया, पश्चिम चंपारण के रहने वाले हैं। पेशे से एलोपैथिक चिकित्सक हैं। इनकी पहली पुस्तक ‘Every ill does not need a pill' प्रकाशित हो चुकी है। पुस्तक चिकित्सा क्षेत्र से ही संबंधित है। इस पुस्तक में लेखक ने यह सिद्ध किया है कि अधिकांश बीमारियां जिस पर लोग प्रत्येक पैथी में अपना बहुमूल्य समय एवं रुपया खर्च करते हैं असल में उन बीमारियों में किसी भी प्रकार की दवा की बिल्कुल भी आवश्यकता नहीं होती है। पुस्तक पाठकों द्वारा अत्यंत सराही जा रही है तथा अमेजॉन, फ्लिपकार्ट एवं किंडल पर उपलब्ध है। ‘पंचतत्व’ कहानी संग्रह लेखक की दूसरी पुस्तक है।
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