यह कहानी है उम्मीद की, सपनों की, प्यार की, अधूरे प्यार की और रोजगार के लिए संघर्ष की। यह कहानी है विशाल की तरह अनेक बिहारियों की जो काम की तलाश में अपना घर छोड़कर दूसरे राज्य में काम करने जाते हैं। कहानी उनकी भावनाओं और संघर्षों के इर्द - गिर्द घूमती हुई कभी हँसाती है तो कभी रुलाती है और अंत में एक टीस छोड़ जाती है। साथ ही छोड़ जाती है कुछ सवाल।
---
संतोष कुमार का जन्म बिहार के नालंदा जिला में हुआ था लेकिन पालन - पोषण पटना जिला के धनरुआ थाना के अंतर्गत चनाकी गाँव में मौसा - मौसी के घर हुआ था। लोग कहते हैं कि चन्द्रगुप्त के प्रधानमंत्री चाणक्य इसी गाँव में रहते थे। उन्हीं के नाम पर इस गाँव का नाम चनाकी पड़ा। इसके अलावा स्व. सागर सिंह भी इसी गाँव के थे जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। ऐसे महान लोगों की धरती पर पले - बढ़े लेखक की रूचि लिखने में बचपन से ही जाग उठी थी। लेकिन ज़िन्दगी में स्थिरता न रहने के कारण ये कभी लिख न सके। बचपन गरीबी के अलावा अनेक प्रकार के संघर्षों में गुजरी लेकिन इनके आस - पास के लोग और मित्र बहुत अच्छे थे जिन्होंने इन्हें हमेशा प्रोत्साहित रखा।
इस तरह इनका पहला उपन्यास ‘ओ भया’ आपके सामने प्रस्तुत है।
top of page
SKU: RM45862
₹169.00Price
bottom of page