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जैसे प्रकृति के शाश्वत स्वरूप के लिए अंकुरण अत्यंत अनिवार्य है, वैसे ही साहित्य एवं समाज की निरंतरता के लिए भावों और विचारों के अंकुर आवश्यक है। मेरे विचारों एवं भावनाओं के अंकुरों को अपने में समेटे मेरा एक प्रयास है मेरे तीस काव्यांकुर

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डीजल रेल इंजन कारखाना, वाराणसी में वरिष्ठ अनुभाग अभियंता (Senior Section Engineer), विद्युत के पद पर कार्यरत, वरिष्ठ हिन्दी लेखक राघवेन्द्र सिंह मूलतः प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश के निवासी हैं। राघवेन्द्र जी ने विद्युत इंजीनियरिंग की शिक्षा मदन मोहन मालवीय इंजीनियरिंग कॉलेज, गोरखपुर (Madan Mohan Malviya Engineering College, Gorakhpur) से प्राप्त की है। इनका प्रारंभिक जीवन प्रयागराज (इलाहाबाद) में व्यतीत हुआ है। बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी (वाराणसी) इनकी कर्मभूमि है। इन सभी सांस्कृतिक शहरों का प्रभाव इनके जीवन के साथ-साथ इनकी रचनाओं पर भी पड़ा है।

Mere Tees Kavyankur

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