अनीता जी ने "मायिम" में जीवन की छोटी-छोटी अनुभूतियों को अपनी कविताओं में पिरोने की कोशिश की है. ये अनुभूतियाँ कुछ अपनी और कुछ अपनों की हैं. लिखते वक्त दूसरों के भाव भी अपने ही हो जाते हैं. इन कविताओं ने जीवन में नये विचारों की आवाजाही की प्रक्रिया को निरंतरता दी है.
Mayim : Poetry Collection
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