संकलनकर्ता
ब्रह्मलीन पूजनीय श्रीमती उषा सोहाने
w/o ब्रह्मलीन पूजनीय शंकरलाल सोहाने
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संयोजनकर्ता
सविता सोहाने
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, भारतीय पुलिस सेवा
यह अद्भुत अनोखी एवं अलौकिक भजनमाला जो आध्यात्मिक जगत के लिए एक मील का पत्थर साबित होगी। मूलतः भजन बहुत सारे रचनाकारों के द्वारा लिखित है, जिनकी कुशाग्र बुद्धि को मैं प्रणाम करती हूँ। उनके नामों से मैं अनभिज्ञ होने के कारण इन अलोकिक रचनाओं के लिए उनको साधुवाद देते हुए प्रणाम करती हूँ। उनके इन भजन/गीतों ने मेरी माँ श्रीमती उषा सोहानेw/o शंकरलाल सोहाने को न केवल एक संबल प्रदान किया, बल्कि ‘‘मोहन की डोर थामे‘‘ अपने कठिन जीवन-पथ पर हँसते, मुस्कुराते चलायमान रखा। उनके जीवन में यह ऐसे भजन एवं गीत है जिनको गाकर या यूं कहूँ कि ढोलक, मंजीरे, लोटे, झांझर की थाप, संगीत पर झूमकर हर पल मुस्कुराकर जीने के लिए आधार भूमि साबित हुए, यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा। अतः मैं बारम्बार उन लेखकों की लेखनी को प्रणाम करती हूँ। इन भजनों ने मेरी मॉं के कठिन जीवन को न केवल सरल बनाया बल्कि सुगमतापूर्वक सफलता की राह पर चलना सिखाया। इसी भजनमाला ने एक सामाजिक प्राणी रहते हुए ईश्वर की राह में समर्पित मेरी माँं को ममता से ओत-प्रोत निश्चल, स्वाभाविक, वात्सल्यमय, दयालु, कठिनाई में पड़े लोगों के प्रति समर्पित आध्यात्मिक जीवन से ओत-प्रोत, सुदृढ़, चुनौतियों से हँसते हुए लड़ने वाला एक आलौकिक व्यक्तित्व प्रदान किया, जिसके कारण उनसे मिलने-जुलने वाले को एक झरझर बहती ममता की सरिता का आभास हुआ। यही कारण है कि ऐसे पावन, निर्मल व्यक्तित्व के न होने पर भी उनकी मुस्कुराहट, उनका सरल एवं आदर्शमय जीवन अत्यन्त सरल व सामान्य प्रकृति की महिला होेने के बावजूद सामाजिक क्षेत्र में मिसाल बना है। ऐसी कई महिलाएँ हैं, जिन्होने अपने जीवन में आयीं समस्याओं का सामना उनके पद चिन्हों पर चलकर उनको अपना आदर्श गुरू बनाकर न केवल सामना किया, बल्कि सफलतापूर्वक अपने जीवन में कई आयाम स्थापित किये। उन सभी का विवरण यहाँ देना संभव नहीं है। किन्तु मैं इतना कह सकती हूँ कि वह मेरी माँ थीं पर सब के लिए हमेशा तत्पर, सुलभ और सहयोग को आतुर रहती थी। किसी को निराश न करना एवं हर किसी को खुश देखना उनके जीवन का जैसे प्रथम उद्देश्य ही था।
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