“मन के पन्नों से…” शब्दों में ढली भावनाओं का वो संग्रह है जिसकी एक-एक कविता को सिर्फ़ रस लेकर पढ़ा नहीं बल्कि दिल से महसूस भी किया जा सकता है। ये कविताएँ निजी हो कर भी सब की कहानी है। इस पुस्तक में “अनुपमा” ने अपनी कलम से अपने मन को खोल के रख दिया है। इसका हर पन्ना जहाँ आपको एक पल गुद-गुदगुदाएगा, वहीं दूसरे ही पल आपको सोचने पर मजबूर भी कर देगा।
“मन के पन्नों से…” कहने को एक प्रयास है, मगर असल में एक मुक़म्मल एहसास है!
Mann Ke Pannon Se
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