आज की तारीख़ में रूमी ऐसा नाम है जो काफ़ी मशहूर है। अपनी शायरी के लिए, अपनी फिलोसोफी के लिए। लेकिन रूमी के ज़्यादातर अश‘आर एक तो अंग्रेज़ी में होते हैं या फिर अंग्रेज़ी तर्जुमात से लिए हुए होते हैं। लेकिन फ़ारसी में रूमी जो कहना चाहते हैं वह कुछ अलग ही हैं। पिछले पांच सालों में फ़ारसी सीखते-सीखते मैं जितना रूमी से मिला हूँ, जितना मैं उन्हें जान पाया हूँ, उनके अल्फ़ाज़ को जितना समझ पाया हूँ वह सब आप के सामने पेश करने की ये किताब एक कमसीन कोशिश है। ‘‘मैं ग़ुलाम हूँ उस चाँद का’’ रूमी के चुनिंदा अश‘आर है जिन्हें हिन्दुस्तानी ज़बान में, अपनी ज़बान में, अपने तरीक़े से आप तक पहुँचाना है।
Main Ghulaam Hoon Uss Chand Ka
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