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अकेलापन एक शाश्वत अनुभव है। जब  प्रयाण के तीसरे चरण में पहुँच जाते हैं तो प्यार के प्रति संवेदना पहले  जैसी नहीं होती।  समय जीवन को पीछे छोडता चला जाता है। प्यार के प्रति संवेदना हमेशा एक जैसी नहीं होती। कभी-कभी सुबह भी रूठी लगती है। दिन-रात की तो बात ही निराली है।  इसलिये इतिहास कुरेद कर हम कुछ बीते आयाम जी लेते हैं। साथ रहना और साथ जीना दोनों की परिभाषा बहुत अलग है। ‘मधुबाला’ समय को बाँधने का एक प्रयास है। इस संकलन में अन्य रचनाएँ भी हैं, जो जीवन के बहुत पास हैं।

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डॉ. राजगोपाल (PhD) को भारत सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र मे अंतर्राष्ट्रीय सस्तर पर उत्कृष्ट योगदान के लिए  “प्रवासी भारतीय सम्मान” से अलंकृत किया। माननीय राष्ट्रपति ने उन्हें १० जनवरी २०२३ को प्रवासी भारतीय सम्मेलन के दौरान सम्मानित किया। यह प्रवासी भारतीयों के लिए सर्वोच्च राष्ट्रीय सम्मान है।  डॉ. राजगोपाल ने इक्कीसवीं सदी मे कई अंतर्राष्ट्रीय सम्मान अर्जित किए। उनमें निम्नलिखित महत्वपूर्ण हैं: National Researcher-SNI Level-III recognition by National Council of Science and Technology, Government of Mexico (2013), Life Fellow of the Royal Society for Encouragement of Arts, Manufacture and Commerce, London (2016); Distinguished Professor, EGADE Business School, Tecnologico de Monterrey, Mexico (2020)। डॉ. राजगोपाल इगादे बिज़नस स्कूल, मेक्सिको सिटी में प्रोफेसर हैं, वे बोस्टन यूनिवर्सिटी में विसिटिंग प्रोफेसर भी हैं। उन्होंने पंडित रविशंकर शुक्ला विश्वविद्यालय से पीएचडी की उपाधि अर्जित की है। व्यवसायिक प्रबंधन पर राजगोपाल ने ७१ पुस्तकें एवं ४०० से अधिक शोध पत्र लिखें हैं।

 

    Madhubala Aur Kuchh Bikhare Prasang

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