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इस पुस्तक में लेखक ने किशोरावस्था से लेकर वयस्कता तक के पड़ावों पर मन में उठे भाव को शब्दों का रूप देने का प्रयत्न किया है। लेखक यहाँ समाज में चल रहे मानवीय मूल्य को देखता है, खुद से तथा समाज से प्रश्न करता है। प्रेम इत्यादि मनोभाव को वह अपने नज़रिए से देखता है। और फ़िर कलम उठाकर कुछ रचने का प्रयास करता है।

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नाम- पुष्पेंद्र सिंह

प्राम्भिक शिक्षा - झांसी से

स्नातक -  आगरा कॉलेज आगरा से ( दर्शनशास्त्र एवं हिंदी में)

M. A - (पत्रकारिता में) बुन्देलखण्ड विश्विद्यालय झांसी से।

व्यवसाय - अभिनय

रुचि - लेखन, अभिनय एवं नाट्य निर्देशन में

सक्रियता - नुक्कड़ नाटक एवं थिएटर में।

निर्देशित नाटक - लांछन, पंचलाइट, दस्तक , किस्सा अज़नबी लाश का, ठाकुर का कुंआ, तट की खोज, कितनी निर्भया।

अभिनीत नाटक - किस्सा अजनबी लाश, डॉयरेक्टर की मौत, ठाकुर का कुंआ, लांछन, पंचलाइट, रामलीला, हड़प्पा हॉउस, गधे की आत्मकथा।

सम्मान - इप्टा द्वारा श्री जुगलकिशोर स्मृति नाट्य निर्देशक सम्मान 2018 ।

Maanas

SKU: RM54623
₹119.00Price
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