यह पुस्तक एक प्रयास है लेखक का, जिसमें उसने अपनी सारी अनकही बातें कहने की कोशिश की है। यह पुस्तक एक संकलन है कुछ जीए हुए, तो कुछ औरों के जीवन को देख कर महसूस किए गए एहसासों का। इसमें भिन्न-भिन्न शैलियों की कविताएं हैं जो एक पाठक को कई तरह की भावनाओं का एहसास कराएंगी। पुस्तक के नाम के अनुकूल, इसके भीतर की सारी लिखावटें एक दुसरे से अलग हैं, लेकिन एक साथ यह सब एक गुलज़ार ( खिले हुए बागीचे) के समान हैं।
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शुभम् स्वराज फ़िलहाल मुम्बई स्थित टाटा सामाजिक विज्ञान संस्थान से अपने स्नातकोत्तर की पढ़ाई कर रहे हैं। वे इससे पहले दिल्ली विश्वविद्यालय के वेंकटेश्वर काॅलेज से पढ़े हैं, और यह मानते हैं कि उन्होंने यहीं पर लिखने की अपनी प्रतिभा को पुनः प्राप्त किया। यह उनके दिल्ली के प्रति स्नेह का एक बड़ा कारण है। स्वराज अपनी बुलंद आवाज़ में अपनी कृतियां प्रस्तुत करने के लिए जाने जाते हैं। एक शायर के तौर पर वे दुश्यंत कुमार, राहत इंदौरी व मिर्ज़ा ग़ालिब से काफ़ी प्रभावित हैं।
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