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इस संग्रह में विभिन्न प्रकार की कविताएँ हैं। कुछ मनोरंजक हैं तथा कुछ थोड़ी ज़्यादा गहरी हैं। ‘ॐ’ पीड़ा की एक अस्पष्ट व्याख्या है, जिसके बाद कुछ कविताएँ प्रकृति और अग्नि पर हैं। ‘दीपक’ कार्ती (कार्तिका दीपम्) त्यौहार के बारे में है, जिसे दक्षिण भारत में दीपावली के कुछ दिनों बाद मनाया जाता है। कुछ और कविताएँ मानवीय परिस्थिति पर हैं, जिसको मैंने प्राकृतिक तुलनाओं के माध्यम से स्पष्ट किया है। आख़िरी कुछ कविताएँ प्रेम पर हैं। किसी भी काल्पनिक किरदार का चरित्र पूर्ण प्रकार से कलाकार पर निर्भर है। ‘शकुंतला’ इसी ख़्याल के बारे में है।

 

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विक्रम अय्यर IISER पुणे में BS - MS के विद्यार्थी हैं। वे एक शोधकर्ता बनने के लिए प्रशिक्षण ले रहे हैं, तथा AIIMS दिल्ली के प्रयोगशाला में शोध अनुभव प्राप्त कर चुके हैं। उनकी प्राथमिक आसक्ति जीव विज्ञान में है, परंतु वे इतिहास तथा समाज विज्ञान में भी आसक्ति रखते हैं। वर्तमान में वे IISER पुणे के प्राध्यापक के मार्गदर्शन पर आधुनिक भारतीय इतिहास पर कार्य कर रहे हैं। उनको भारतीय भाषाओं में रुचि है और वे अंग्रेज़ी, हिंदी और मराठी में कविता लिखते हैं। उन्हें पौधों से बहुत लगाव है, और अन्य समय में अपने बाग़ को संभालते हैं।

Kyari

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