कृष्ण, एक परिपूर्ण व्यक्तित्व हैं, मानवता और धर्म से भरा हुआ व्यक्तित्व। महाभारत युद्ध के बाद की कथा में कृष्ण का विषाद है, वेदना है, व्याकुलता है फिर भी जीवन का संतुलन है, मानव कल्याण की भावना है और असामाजिक, विधर्मी तत्वों से समाज को बचाने के लिए, अपने कुल को नष्ट करने की क्षमता भी। जब जन्म लिया तब भी किसी को पता नहीं चला और अंतिम दिन भी कोई नहीं जान पाया। कष्टों और विपत्तियों से भरा जीवन, फिर भी मनोहारी मुस्कान, कृष्ण को भगवान बनाती है।
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वरिष्ठ लेखक प्राणेन्द्र नाथ मिश्र एयर इंडिया (Air India-पहले इंडियन एयरलाइन्स) के साथ 35 वर्षों तक विमानों के रखरखाव के क्षेत्र से जुड़े होने के बाद 2012 में मुख्य प्रबंधक (इंजीनियरिंग) पूर्वी क्षेत्र के पद से अवकाश प्राप्त कर चुके हैं. जन्म उत्तर प्रदेश में हुआ लेकिन अभी पश्चिम बंगाल में रहते हैं. प्राणेन्द्र जी ने एम एन आई टी इलाहाबाद उत्तर प्रदेश से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बी.ई. (BE) करने के बाद एम. बी. ए. (MBA) किया है.
प्राणेन्द्र जी विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं तथा अखबारों के लिए कविताएँ लिखते रहे हैं. तीन काव्य पुस्तकें, अपने आस पास, तुम से तथा मृत्यु-दर्शन लिख चुके हैं. दुर्गा के रूप काव्य संग्रह समाप्ति की ओर है. कुछ कहानियाँ एवं गज़लें (साकी ओ साकी..) जल्दी ही प्रकाशित होने वाली है. प्राणेन्द्र जी के द्वारा अंग्रेज़ी से हिन्दी में अनुवादित कुछ लेख तथा उपन्यास “नए देवता” प्रकाशित हो चुके हैं और अनुवादित पुस्तक “अनुपस्थित पिता” प्रकाशन की ओर है.
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