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केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय (मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार) द्वारा हिन्दीतर भाषी हिन्दी लेखन के अंतर्गत 'मुखौटों वाला आदमी' कृति पर राष्ट्रीय पुरस्कार सहित अनेकों राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त, पंजाब के मशहूर हिन्दी लेखक सैली बलजीत विद्युत विभाग से एस.डी.ओ. (Sub-Divisional Officer) के पद से सेवानिवृत्त हैं। सैली जी लगभग चालीस वर्षों से कहानियाँ लिखते आ रहे हैं। इन्हें मोहन राकेश, कमलेश्वर, राजेन्द्र यादव, निर्मल वर्मा, भीष्म साहनी, कृष्णा सोबती, महीप सिंह, सतीश जमाली और सुरेश सेठ की पीढ़ी के बाद के कथाकारों में अग्रगण्य माना जाता है। इनकी कहानियों के कथानक और पात्र रोज़मर्रा की ज़िन्दगी के आम लोग होते हैं। अपनी-अपनी दिशाएँ, गीली मिट्टी के खिलौने, तमाशा हुआ था, अब वहाँ सन्नाटा उगता है, बापू बहुत उदास है, यंत्र-पुरूष, समंदर में उतरी लड़की, मुखौटों वाला आदमी, घरौंदे से दूर, अंधा घोड़ा, वह आदमी नहीं था, यह नाटक नहीं था जैसे दर्जनों कहानी संग्रह सहित मकड़जाल जैसा मशहूर उपन्यास इनके द्वारा लिखा जा चुका है। साथ ही इनके द्वारा लिखित नाटक, ग़ज़ल संग्रह, संस्मरण एवं संपादित कहानी संग्रह महत्वपूर्ण हैं।

Khaali Hath Aur Lapte'n

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