इस काव्य संग्रह में कवि ने कुछ कविताओं और चंद शेरों को आपने विरह व्यथित श्रृंगारी मन से उकेरने का प्रयास किया है। ऐसा नही कि इनमें एक प्रेमी मन का अपनी प्रेमिका के प्रति उलाहना अथवा अपने अन्तर्मन की छटपटाहट है बल्कि प्रेमिका की मनोस्थिति को भी अपने अन्तर्मन की गहराईयों से झाँकने का प्रयास किया है। विरह की व्यथा केवल प्रेमिका तक ही सीमित नही होती है, अपितु इसकी पहुँच बहुत दूर तक है जिसे आप सुधी पाठक वृन्द ‘शहीद की दुलहन’ और ‘अमन ये जहाँ होने दो’ शीर्षक कविता में देख सकते हैं। इस काव्य संग्रह में कहीं-कहीं वीर रस का पुट भी दिखाई पड़ेगा।
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वरिष्ठ हिन्दी कवि रविन्द्र कुमार भारती का जन्म 10 अक्टूबर 1981 को समस्तीपुर (बिहार) में हुआ था. भारती जी अंग्रेजी साहित्य (English Literature) में राँची विश्वविद्यालय (Ranchi University) से स्नातकोत्तर (Postgraduate) और एमबीए (MBA) मार्केटिंग, सिक्किम मणिपाल विश्वविद्यालय(Sikkim Manipal University) कर चुके हैं. मौज़ूदा समय में भारती जी बोकारो स्टील सिटी, झारखंड में स्व नियोजित व्यवसाय करते हैं.
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