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यह मध्यम वर्गीय एकानेक परिवारों के सपनों, समस्याओं और रिश्तों की ऐसी कहानी हैं जो यथार्थ को प्रतिबिम्बित करती प्रतीत होती है। इसमें एक कहानी में अनेक पात्र नहीं है अपितु हर पात्र की अपनी एक कहानी है। निःसंदेह इस लघु उपन्यास की कहानी हमारे आसपास के सामाजिक परिवेश से प्रभावित है अतः इसके पात्र लेखक को बड़े परिचित से लगने लगे हैं।

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युवा हिन्दी लेखक अनमोल दुबे बुंदेलखण्ड विश्वविद्यालय, झाँसी से पत्रकारिता में स्नातक की पढ़ाई कर रहे हैं। इनकी कहानियों में समाज का महीन चित्रण साफ़ दिखाई देता है। इतनी कम उम्र में मानवीय संवेदनाओं का इतना विस्तृत चित्रण बहुत कम लेखकों में देखने को मिलता है। दुबे जी लेखन के साथ-साथ फोटोग्राफी और यात्रा करने के बेहद शौक़ीन हैं। घुमक्कड़ी प्रकृति और लोगों के अंदर की बात जानने की यह आदत दुबे जी को लेखन में बेहद मदद करती है।

Karwan Ghulam Roohon Ka

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