4 साल कॉर्पोरेट में इंजीनियर और बिज़नेस एनीलिस्ट कि तरह कार्यरत रहने के बाद, 2 साल लेखिका "टीच फॉर इंडिया" नामक स्वयं सेवी संस्था से जुड़ी रहीं, जो सभी बच्चों को समान शिक्षा दिलाने के लिए कार्य करती है, जिसके बाद वह "माँ" के रूप में अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाह करने में लग गयी | जब वो 6 साल की थीं, तब से उन्हें कहानियां लिखने का शौक रहा, पर जब उनका बेटा 5 वर्ष का हुआ, फिर से कहानियों से उनका परिचय हो गया | उनकी कहानियां पॉडकास्ट के रूप में भी काफी प्लेटफॉर्म्स पर हैं|
Kahaniyon Ka Pitara - Rochak Kahaniyan
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