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‘काला’ एक ऐसे खतरनाक खलनायक की कहानी है जो 18 साल अंधेरे कुएँ में फसा हुआ था और फिर उसे मौका मिलता है अपने दुश्मन से बदला लेने का। क्रोध और बदले की भावना से भरा हुआ ‘काला’ अपने दुश्मन के पीछे भूखे भेड़िए की तरह लगा हुआ है और उसके पीछे पड़ा है एक शातिर पुलिसवाला जो उसे पकड़ने के लिए धूप में अपनी खाल जला रहा है। ये कहानी पाठकों के लिये रहस्य और डर का ऐसा अनुभव है जो किताब के आखिरी पन्नों तक बरकरार रहती है। एक के बाद एक आते नए किरदार अपने साथ एक नई कहानी लेकर आते हैं। 20 अध्याय में बंटा यह सीढ़ीनुमा लघु उपन्यास अपने हर एक अध्याय में पिछले प्रश्नों का जवाब और अगले अध्याय के लिए फिर कुछ सवाल छोड़ जाता है।

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युवा कहानीकार जावेद खान मूल रूप से खैरागढ़, छत्तीसगढ़ के निवासी हैं। फ़िलहाल गेल (GAIL) हैदराबाद में एक सरकारी कर्मचारी के रूप में कार्यरत हैं। ‘मोटा पक्षी’ नामक किताब के बाद ‘काला’ इनकी दूसरी रचना है। ये स्वयं को एक लेखक की तरह से नही बल्कि एक सफल कहानीकार के रूप में देखना चाहते हैं।

Kaala : Ek Bhay Aur Rahasyabhari Kahani

SKU: RM41256
₹199.00Price
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