इस किताब के कमरे में बंद हैं कहानियाँ जिन्हें बहना पसंद हैं और ठहरना उससे भी ज़्यादा। सभी कहानियाँ सामयिक हैं। मैं जब जब भोगती थी जंगलों को, बाघों को, उनके भय को, पक्षियों और उनके कलरव को, कभी अकेले, कभी एक साथ, तब कहीं ये कहानियाँ भी अपना आकार ले रही होतीं थीं । मुझे मालूम नहीं कि किस शैली, किस विमर्श में रखूँ इन कहानियों को, जब हर कहानी का ढांचा जो भी हो, जैसा भी हो, उसकी आत्मा में इंसान और इंसानियत को क़ैद करने की कोशिश है बस! ये किसी विशेष भौगोलिक सीमाओं में बंधी कल्पनाओं या उनमें घटी घटनाओं का लेखा जोखा भी नहीं है। एक यात्रा है जो अचीन्ही दिशाओं की तरफ ज़रुर ले जाती है। ये कहानियाँ जिनकी जड़ें नहीं, ये कुछ करे न करे, आपको सींचेंगी अवश्य।
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लेखिकाः अंशु जौहरी
शिक्षाः स्नातिका, वैद्युत अभियांत्रिकी, शासकीय अभियांत्रिकी महाविद्यालय, जबलपुर। स्नातकोत्तर, डिजिटल डिजाईन, सैन होजे स्टेट युनिवर्सिटी, कैलिर्फाेनिया।
संप्रतिः हार्डवैयर इंजिनियर
जन्मः गोहद, जिला भिंड, मध्य प्रदेश
निवासः 2839 नॉरक्रैस्ट ड्राईव, सैन होज़े, कैलिफोर्निया, यू.एस.ए।
साहित्यक विधाएँः हिंदी तथा अंग्रेज़ी में कविताएँ, कहानियाँ, तथा नाट्य लेखन, नाट्य निर्देशन, अभिनय, तथा चित्रकारी।
प्रकाशित कृतियाँः काव्य संग्रह- ’खुले पृष्ठ’, ‘बूँद का द्वंद्व’, ‘तुमसे जुड़े बिना‘
कहानी संग्रहः ‘शेष फिर’, ‘अदृश्य किनारा‘, स्क्रेप्ड (अंग्रेज़ी कहानी संग्रह)
ऑडियो बुक्सः ‘अदृश्य किनारा‘, ‘तुमसे जुड़े बिना...‘ विश्व में अमैज़ोन, एपलबुक्स तथा ऑडिबल पर उपलब्ध।
ई बुक(किंडल): ‘बूँद का द्वंद्व’, ‘अदृश्य किनारा‘, ‘तुमसे जुड़े बिना...‘
वर्तमान साहित्यिक गतिविधियाँः बौछार- पोएट्री सैंटर सैन होज़े के तत्वाधान में हिंदी की विषयाधारित रचनाओं की मासिक श्रृंखला की परिकल्पना और संचालन
अन्वेषण कार्यशालाः विश्व भाषाओं की काव्य विधाओं का हिंदी में प्रयोग।
पुरस्कारः ग्लोरियस इंडिया अवार्ड 2017 (साहित्य) कथाबिंब का कमलेश्वर स्मृति कथा सम्मान 2019
Anshu Johri authors poems, short stories, and plays in Hindi & English. She has a Master of Science in Electrical Engineering from San Jose State University, California. She started "Udgam", one of the first online Hindi literary magazines of the world in 1998 and was its editor till 2004. Her published works include "Scraped" (Collection of stories in English, 2021), "Khule Prishtha" (collection of poems, 1990), "Shesh Phir" (Collection of short stories, 2004), "Boond ka Dwandwa" (A collection of poems, 2014), "Adrishya Kinara (Collection of stories, 2015) and "Tumse Jude Bina" (Collection of poems, 2017). Her poems and stories have appeared in "Kadambini", "Navneet", Hans, Vaagarth", "Vartmaan Saahitya", "Kathakram", "Kathabimb", "Akshara", "Hindi Jagat", "Hindi Chetna", "Vibhom Swar", and "Vishwa", among various others. Her work in English has appeared in "Dukool", "Vine Leaves Literary Journal", "Calliope", "Creation and Criticism", "Caesura", "Storizen" and "SAGE" and "Soul-Lit". She lives in San Jose, California.
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