झीनी सी “याद मुबारक”..... ये मात्र एक किताब नही, ये हम सब की ज़िंदगी से जुड़ी यादें हैं। हम सब यादों की एक गठरी लेकर चल रहे हैं, असल में हम हैं ही यादों का एक पुतला, जो अपने बीते दिनों में खोया रहता है। सब के पास अपनी अपनी यादें हैं। जवानी में बचपन को याद करते हैं, बुढ़ापे में जवानी को याद करते हैं, शहर आ जाते हैं तो गाँव याद आता है, गुजर जाने पर माँ – बाप याद आते हैं, और प्रेमी – प्रेमिका का तो अपना अलग ही “याद नगर” है। हमें हर वो पल याद आता है जो बीत जाता है, हर वो रिश्ता याद आता है जो टूट जाता है।
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युवा लेखक “दिव्य प्रकाश सिसौदिया” मूल रूप से जिला बिजनौर, उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखते हैं। ग्रामीण परिवेश में प्रारम्भिक शिक्षा पूर्ण होने के बाद इतिहास विषय से परास्नातक की उपाधि प्राप्त की। तत्पश्चात इन्होने इतिहास विषय से यूजीसी नेट परीक्षा उत्तीर्ण की। वर्तमान में लेखक “असिस्टेंट कमिश्नर (राज्य कर)” के पद पर उत्तर प्रदेश में अपनी सेवाएँ दे रहे हैं। इन्होने ग्रामीण अंचल में प्रचलित रामलीला मंचन में “लक्ष्मण” के किरदार को बखूबी निभाया है। “सादा जीवन- उच्च विचार” इनके जीवन का आदर्श वाक्य रहा है, जिसे ये साहित्य के प्रति समर्पण भावना के साथ ज़िंदादिली से जीते आए है। “झीनी सी याद मुबारक” लेखक का पहला प्रकाशित “काव्य-संग्रह” है, जो वास्तविकताओं और कल्पनाओं के मध्य संतुलित ताल-मेल का परिणाम है।
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