दुनिया के वे लोकतांत्रिक देश जहाँ भ्रष्टाचार व्याप्त रूप से छाई हुई है। वैसे भ्रष्ट देशों में गरीबी, अशिक्षा, आतंक, पर्यावरण असंतुलन और मानव मृत्युदर जैसी आपदायें मनुष्य को झेलनी पड़ती है। मानव में असंतोष और अज्ञानता बनी रहती है। अगर मानव को इन सारी व्यवस्थाओं से निजात पाना है तो मानव को नैतिकता में सुधार लाना होगा। भ्रष्टाचार का मुख्य मुद्दा है मानव का नैतिक पतन होना। शोषण, उत्पीड़न, राहजनी बलात्कार जैसी घटनाएँ ही मानव नैतिक पतन की जड़े हैं जिससे भ्रष्टाचार पनपती है।
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जयशंकर सोनेलिया का जन्म 15 सितंबर 1960 को कटिहार जिला के सोनेला गांव में हुआ। राजेन्द्र उच्च विद्यालय, धानपड़ा और औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान, कटिहार से विद्युत टेक्नीशियन में शिक्षा प्राप्त किया। गांव में रहकर आजीवन साहित्य और शिक्षण कार्य से जुड़े रहे। स्वतंत्र लेखन कर विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में कविता, कहानी प्रकाशित हुई। वर्ष 2009 में विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर द्वारा "कविशिरोमणि" सम्मान से सम्मानित किया गया।
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