काग़ज़ पर खिंची गई रेखा कुछ ज़्यादा तो नहीं बस ये प्रकट करती है कि काग़ज़ का कुछ भाग सियाही में डूब गया है। पर जब दो से ज़्यादा रेखाओं को मिला दिया जाए तब रेखा, रेखा नहीं एक आकृति बन जाती हैं जो वृत्तांत के साथ-साथ काग़ज़ की शोभा भी बढ़ा देती है। जीवन भी काग़ज़ की भाँति है जिस पर हम अपनी सोच द्वारा, चाह द्वारा और दुनिया के प्रभाव से उपजीं रेखाएँ खींच कर बहुत सी आकृतियाँ बनाते हैं। इनमें से कुछ आकृतियों का हमारे साथ गहरा संबंध होता है और कुछ अस्थिर होती हैं, जो समय के साथ बदलती रहती हैं। मनुष्य का चरित्र भी इन आकृतियों पर निर्भर करता हैं। इन आकृतियों को प्रभावित करने वाले महत्वपूर्ण बिंदुओं को कविताओं द्वारा आपके सामने रखा गया है।
Jeevan Ki Akritiyan
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